- जयपुर। राजधानी जयपुर में त्योहारों की रौनक के बीच पुलिस को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। धनतेरस की शाम नारायण विहार थाना क्षेत्र में एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) ने छापा मारकर ₹43 लाख के नकली नोट बरामद किए हैं। इस दौरान पुलिस ने दो युवकों को मौके से गिरफ्तार किया, जो लंबे समय से फर्जी करेंसी के इस नेटवर्क से जुड़े बताए जा रहे हैं।
एसओजी की यह कार्रवाई पिछले 15 दिनों की निगरानी और गुप्त सूचनाओं के आधार पर की गई थी। टीम ने जिस फ्लैट पर दबिश दी, वहां से मिले नकली नोट इतने बारीक और खतरनाक स्तर पर तैयार किए गए थे कि उनमें वाटर मार्क और सिक्योरिटी फीचर तक मौजूद पाए गए — यानी, सामान्य व्यक्ति के लिए असली और नकली में फर्क कर पाना लगभग नामुमकिन था।
त्योहारों पर नकली नोटों का कारोबार बढ़ने की आशंका
एडीजी एसओजी वी.के. सिंह ने बताया कि हर साल त्योहारों के मौसम में नकली नोटों का चलन बढ़ जाता है। बाजार में कैश ट्रांजैक्शन अधिक होने का फायदा उठाकर ऐसे गिरोह सक्रिय हो जाते हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए एसओजी की कई टीमें राजस्थान के विभिन्न जिलों में अलर्ट थीं।
सूचना मिलने पर एसओजी ने जयपुर पुलिस के साथ मिलकर नारायण विहार इलाके में स्थित एक फ्लैट पर छापा मारा। वहां से 43 लाख के नकली नोट जब्त किए गए, जो सभी ₹500 के मूल्य वर्ग के थे। फिलहाल गिरफ्तार दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है और जांच साउथ जिला पुलिस को सौंप दी गई है।
काटिंग से पहले की नकली शीट भी बरामद
बरामद नकली नोटों में से 26 लाख रुपए की पूरी गड्डियां मिलीं, जबकि 18 लाख रुपए के नोट अब तक शीट के रूप में थे, जिनकी कटिंग नहीं की गई थी। प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि ये शीट संभवतः किसी बाहरी राज्य से जयपुर लाई गई थीं, ताकि शहर के भीतर अलग-अलग जगहों पर सप्लाई की जा सके।
यह पहलू पुलिस के लिए बेहद चौंकाने वाला है कि नकली नोटों में पहली बार “टच-एंड-फील” सिक्योरिटी फीचर और उभरा हुआ वाटर मार्क पाया गया है — यानी ये नोट केवल रंगीन प्रिंट नहीं, बल्कि तकनीकी रूप से अत्यधिक उन्नत नकली करेंसी हैं।
डील का फॉर्मूला: ₹1 लाख असली = ₹4 लाख नकली
पूछताछ में चौंकाने वाली जानकारी सामने आई है। आरोपी ₹1 लाख असली नोट के बदले ₹4 लाख नकली नोट दे रहे थे। इस डीलिंग के लिए मध्यस्थ के तौर पर बीकानेर का एक बदमाश काम कर रहा था, जो अब पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
एसओजी के अनुसार, गिरोह का नेटवर्क कई शहरों तक फैला हुआ है। गिरफ्तार आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर राजस्थान और उससे सटे राज्यों में कई ठिकानों पर रेड की जा रही है।
कौन हैं गिरफ्तार आरोपी
हालांकि पुलिस ने अभी दोनों आरोपियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन प्रारंभिक रिपोर्ट में यह सामने आया है कि दोनों की उम्र 25 से 35 वर्ष के बीच है और दोनों ही लंबे समय से छोटे स्तर पर नकली नोटों का लेन-देन करते रहे हैं।
एक आरोपी कंप्यूटर ग्राफिक डिजाइनिंग का जानकार बताया जा रहा है, जिसने नकली करेंसी की प्रिंटिंग में तकनीकी भूमिका निभाई, जबकि दूसरा सप्लाई और नेटवर्किंग का काम देखता था।
कैसे तैयार की जाती थी नकली करेंसी
जांच में सामने आया है कि नोटों की प्रिंटिंग के लिए हाई-रेज़ोल्यूशन इंकजेट प्रिंटर और विशेष प्रकार का पेपर इस्तेमाल किया गया था, जिसकी सतह असली करेंसी के कागज़ जैसी महसूस होती है।
सिक्योरिटी फीचर को कॉपी करने के लिए थ्री-लेयर प्रिंटिंग और ट्रांसपेरेंट शीट तकनीक अपनाई गई। इतना ही नहीं, नोटों के बीच में वाटर मार्क जैसी पारदर्शी छवि डालने के लिए विशेष कैमिकल का प्रयोग किया गया, जिससे नकली नोट असली जैसे दिखते और महसूस होते थे।
त्योहारी बाजार पर असर
धनतेरस और दीपावली के समय बाजारों में भारी मात्रा में कैश का प्रवाह रहता है। एसओजी अधिकारियों का कहना है कि गिरोह की योजना थी कि त्योहारों के दौरान नकली नोट बाजार में खपाकर करोड़ों का लाभ कमाया जाए।
पुलिस के अनुसार, अगर समय रहते यह खेप पकड़ी नहीं जाती तो नकली नोट बड़ी मात्रा में आम लोगों के बीच पहुंच सकते थे, जिससे स्थानीय व्यापारियों और आम उपभोक्ताओं को भारी आर्थिक नुकसान होता।
आगे की जांच और संदिग्ध नेटवर्क
अब एसओजी की विशेष टीमें इस बात की जांच कर रही हैं कि ये नकली नोट कहां से प्रिंट होकर जयपुर तक पहुंचे। सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक सुराग मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के कुछ शहरों की ओर इशारा कर रहे हैं, जहां पहले भी नकली नोट छापने की गतिविधियां पकड़ी जा चुकी हैं।
जांच एजेंसी इस संभावना पर भी विचार कर रही है कि यह नेटवर्क विदेशी नकली करेंसी रैकेट से जुड़ा हो सकता है, खासकर बांग्लादेश और नेपाल बॉर्डर से आने वाली फर्जी करेंसी से।
ADG वी.के. सिंह का बयान
एडीजी सिंह ने बताया — “त्योहारों के मौसम में नकली नोटों की संभावना को देखते हुए हमने पहले से ही निगरानी बढ़ाई थी। यह गिरफ्तारी हमारी टीम की सतर्कता का परिणाम है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ जारी है और इनके अन्य साथियों की तलाश में टीमें रवाना की गई हैं।”
उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे कैश ट्रांजैक्शन के दौरान सावधानी बरतें, खासकर ₹500 और ₹2000 के नोटों को ध्यान से जांचें।
नकली नोटों की पहचान कैसे करें
पुलिस और आरबीआई के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आम जनता नीचे दिए गए फीचर्स से नकली नोटों की पहचान कर सकती है:
महात्मा गांधी की तस्वीर के दाहिने हिस्से पर रंग बदलने वाली सुरक्षा पट्टी देखें।
नोट को तिरछा करने पर “भारत” और “RBI” लिखा हुआ वाटर मार्क दिखाई देता है।
संख्या पैनल में अंक आकार में बढ़ते क्रम में होने चाहिए।
नोट की सतह पर उभरी हुई छपाई महसूस की जा सकती है।
अगर कोई नोट संदिग्ध लगे तो तुरंत निकटतम पुलिस थाने या बैंक शाखा में जानकारी दें।
त्योहारों के बीच जयपुर में नकली नोटों का इतना बड़ा जाल पकड़ा जाना राज्य पुलिस और एसओजी की सजगता को दर्शाता है। हालांकि इससे यह भी स्पष्ट होता है कि अपराधी अब तकनीक का इस्तेमाल कर नकली करेंसी को बेहद असली जैसा बना रहे हैं।
एसओजी के अधिकारियों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस नेटवर्क के और तार खुलेंगे और यह कार्रवाई राजस्थान में नकली करेंसी रैकेट के खिलाफ सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक साबित हो सकती है।