उपराष्ट्रपति धनखड़ के इस्तीफे पर उठते सवाल।
उपराष्ट्रपति का अचानक इस्तीफा भारत के लोकतंत्र की एक बहुत बड़ी घटना है। इसके पीछे तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं जबकि उन्होंने इस्तीफे का कारण स्वास्थ्य खराब होना बताया हैं।
मानसून सत्र के शुरू होते ही इस तरह इस्तीफा आ जाना कई बड़े सवाल खड़ा करता है।
उन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया या इस्तीफा दिलवाया गया यह प्रश्न तो उठेंगे परंतु इसके साथ-साथ धनखड़ की राजनीतिक पृष्ठभूमि को भी देखना होगा।
यह सच है कि धनखड़ मूल रूप से संघ कार्यकर्ता नहीं रहे। उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव अन्य दल से लड़ा और उसके बाद कांग्रेस के विधायक का चुनाव लड़कर किशनगढ़ से जीत दर्ज की।
कुछ ऐसे सवाल हैं जिनका जवाब आना अभी बाकी है।
क्या देश की राजनीति में कुछ बड़ा होने जा रहा है?
क्या धनखड़ का इस्तीफा मोदी और अमित शाह तथा जेपी नड्डा के द्वारा लगातार बनाए जा रहे दबाव इसके कारण रहे?
संघ प्रमुख मोहन भागवत मंशा और संघ विचारधारा इस इस्तीफे के पीछे है?
भारतीय जनता पार्टी जिस तरह से लोकतंत्र की मर्यादा की हत्या और देश में राजनीतिक तानाशाही के बल पर विपक्ष को मौन करना चाहती है यह उसका परिणाम हो सकता है?
धनखड़ का कार्यकाल अभी आधा भी नहीं हुआ था कि यह इस्तीफा सामने आया तो क्या भारतीय जनता पार्टी और संघ किसी ऐसे व्यक्ति को उपराष्ट्रपति के पद पर बैठना चाहती है जो पूरी तरह से संघनिष्ठ हो?
यह कुछ सवाल ऐसे हैं जिनके जवाब आना अभी बाकी है। यह अलग बात है कि नए उपराष्ट्रपति कब बनाए जाएंगे इसकी कोई समय सीमा नहीं है परंतु इतने बड़े पद को लंबे समय तक खाली नहीं रखा जा सकता है।
एक तरफ विधानसभाओं के होने वाले चुनाव और उनमें चुनाव आयोग की जो भूमि का सामने आ रही है ऐसे समय में उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा हो जाना देश में बहुत बड़ी राजनीतिक घटनाएं होने का संकेत दे रहा है।
कौन अगला उपराष्ट्रपति होगा भविष्य के गर्भ में है परंतु यह स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार भी पूर्ण रूप से अब संघ के प्रभाव में है।
अशोक भटनागर “राष्ट्रध्वज”
स्वतंत्र पत्रकार