लास्ट टर्मिनल खबर का असर
आरजीएचएस योजना के प्रभावी संचालन के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध—
यूरोलॉजी में उपचार जारी—
जयपुर, 23 सितम्बर। मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा की पहल एवं चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर के मार्गदर्शन में राजस्थान गवर्नमेंट हैल्थ स्कीम को लगातार सुदृढ़ किया जा रहा है। योजना के प्रभावी संचालन के साथ—साथ पारदर्शिता पर विशेष रूप से फोकस किया जा रहा है, ताकि लाभार्थियों को योजना का लाभ लेने में किसी तरह की परेशानी नहीं आए। इसी दिशा में योजना के तहत यूरोलॉजी में कम संख्या में पैकेज बुक करने वाले 50 अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। संतोषजनक कारण नहीं होने की स्थिति मे इन अस्पतालों को डिपैनल करने की कार्रवाई की जाएगी।
चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ ने कहा है कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग आरजीएचएस योजना के सुचारू संचालन की दिशा में लगातार जरूरी कदम उठा रहा है। अस्पतालों को भुगतान, पैकेज की दरों सहित अन्य विषयों पर समय—समय पर निर्णय लेकर आवश्यक कार्यवाही की गई है। उन्होंने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि योजना के लाभार्थियों सहित सभी हितधारकों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, लेकिन बिना वाजिब कारण अगर कोई अस्पताल उपचार उपलब्ध करवाने में आनाकानी करता है तो नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। यह संज्ञान में आने पर कि विगत दिनों में कुछ अस्पतालों ने आरजीएचएस योजना में यूरोलॉजी से संबंधित उपचार के पैकेज कम बुक किए हैं, उन अस्पतालों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है।
राजस्थान स्टेट हैल्थ एश्यारेंस एजेंसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हरजीलाल अटल ने बताया कि ज्यादातर अस्पतालों में यूरोलॉजी से संबंधित उपचार किया जा रहा है। विगत माह में करीब 9 हजार रोगियों ने आरजीएचएस योजना में यूरोलॉजी से संबंधित उपचार लिया है। ऐसे 50 अस्पताल चिन्हित किए गए हैं, जिन्होंने पैकेज कम बुक किए हैं, उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। उन्होंने कहा कि यह संज्ञान में आया है कि यूरोलॉजी से जुड़े कुछ संगठन यूरोलॉजी पैकेज की दरें बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं, लेकिन आरजीएचएस योजना में यूरोलॉजी पैकेज की दरें सीजीएचएस दरों के अनुरूप ही हैं, इसलिए पैकेज की दरों के आधार पर उपचार से मना किया जाना न्याय संगत नहीं है।
मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा कि कोई भी हितधारक योजना से संबंधित किसी भी विषय या समस्या पर कार्यालय आकर वार्ता कर सकता है, लेकिन योजना के प्रावधानों के अनुसार लाभार्थी को उपचार से मना करना उचित नहीं हैं। ऐसे अस्पताल जो उपचार से आनकानी करते हैं, उनके खिलाफ नियमानुसार सख्त एक्शन लिया जाएगा।