लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में एक दलित परिवार के साथ बातचीत के दौरान संविधान की रक्षा और बहुजनों के अधिकारों की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। सोमवार को अपने सोशल मीडिया हैंडल पर साझा किए गए एक वीडियो में, राहुल ने इस बात पर जोर दिया कि सच्चा समावेश और समानता तभी साकार होगी जब हर भारतीय भाईचारे की भावना को अपनाएगा। वीडियो में राहुल गांधी की अजय तुकाराम सनाडे और अंजना तुकाराम सनाडे के घर की यात्रा को कैद किया गया है, जहां उन्होंने पारंपरिक दलित भोजन पकाने में भाग लिया। राहुल ने वीडियो साक्षा करते हुए कहा कि दलित किचन के बारे में आज भी बहुत कम लोग जानते हैं। जैसा शाहू पटोले जी ने कहा, “दलित क्या खाते हैं, कोई नहीं जानता।” वो क्या खाते हैं, कैसे पकाते हैं, और इसका सामाजिक और राजनीतिक महत्व क्या है, इस जिज्ञासा के साथ, मैंने अजय तुकाराम सनदे जी और अंजना तुकाराम सनदे जी के साथ एक दोपहर बिताई। उन्होंने कोल्हापुर, महाराष्ट्र में मुझे अपने घर सम्मान के साथ बुलाकर रसोई में हाथ बंटाने का मौका दिया। हमने मिलकर चने के साग की सब्ज़ी ‘हरभऱ्याची भाजी’ और बैंगन के साथ तुवर दाल बनाई।
उन्होंने आगे लिखा कि पटोले जी और सनदे परिवार के जाति और भेदभाव के निजी अनुभवों पर बात करते हुए, हमने दलित खानपान के प्रति जागरूकता की कमी और इस संस्कृति के प्रलेखन के महत्व पर चर्चा की। राहुल ने कहा कि बहुजनों को हिस्सेदारी और अधिकार संविधान देता है, और उस संविधान की रक्षा हम करेंगे। लेकिन समाज में सभी की सच्ची समावेशिता और समानता तभी संभव होगी जब हर एक भारतीय दिल में भाईचारे की भावना के साथ प्रयास करे। बातचीत के दौरान मौजूद साहू पटोले ने राहुल को अपनी किताब दलित किचन ऑफ मराठवाड़ा के बारे में बताया, जिसका अंग्रेजी में अनुवाद किया गया है। पुस्तक का उद्देश्य दलितों द्वारा खाए जाने वाले खाद्य पदार्थों को दृश्यता प्रदान करना है, जो काफी हद तक कई लोगों के लिए अज्ञात हैं। राहुल ने संविधान की रक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा, “संविधान बहुजनों को हिस्सेदारी और अधिकार देता है और हम उस संविधान की रक्षा करेंगे।” हालाँकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि समावेशन और समानता का असली सार तभी प्राप्त किया जा सकता है जब प्रत्येक भारतीय भाईचारे की भावना के साथ काम करेगा।