जीवन के साठवे दशक में पहुंचने पर एक बात का एहसास हुआ कि हमने अपना जीवन जीरो से शुरुआत करके बेदाग 69 वर्ष निकाल
दिये। आज जब इस 69 वर्ष के लंबे कालचक्र के दौर को पीछे मुड़कर देखता हूं तो लगता है अभी भी बहुत कुछ करना बाकी रह गया।याद आता है वह लड़कपन, वह बचपन की अटखेलियां, माता-पिता की उंगली पड़कर चलने से लेकर बोलना सीखने के वह पल। जहां ना कुछ पाने की ललक ना कुछ खोने का डर। वह भी क्या वक्त था, अत्यंत सुरक्षित महसूस करता था। कुछ ना होते हुए भी सब कुछ हाथ में था। जैसे-जैसे जीवन आगे बढ़ता गया वह बचपन का भोलापन न जाने कहां खो गया?
मैंने कभी “अर्थ” के महत्व को ना अधिक तवज्यो दी थी ना आज भी देता हूं। एक उस सन्यासी की तरह जीवन जिया जिसने कभी कोई लालसा न रखी। अगर कुछ चाह थी तो बस इतनी कि अपने मात पिता की कसौटी पर खरा उतर पाऊं। माता-पिता ने शिक्षा और संस्कार देकर हमेशा एक बात को सिखाया कि जीवन में अगर तुमसे बेटा कभी किसी का अच्छा ना हो सके तो कम से कम बुरा ना करना।
उसी सीख को अपने जीवन का आधार बना लिया। मां सरस्वती का एक अच्छा पुत्र बन सकूं इसलिए कभी लक्ष्मी का उपासक ना बना। आज जीवन के इस मोड़ पर आकर सोचता हूं कि आधुनिक युग में यह वर्तमान पीढ़ी क्यों “अर्थ” को अधिक महत्व देने लग गई है। रिश्ते उनके लिए महत्वहीन हो चुके हैं। यह मेरा सौभाग्य मानो या मेरे पूर्वजों का आशीर्वाद की पुत्रों के रूप में मैंने एक ऐसा सशक्त सहारा पाया है जिसके चलते अभाव क्या होता है उसका लेश मात्र भी मुझे भान नहीं ।पत्नी एवं पुत्रवधुओं के रूप में साक्षात लक्ष्मी घर में विराजमान है।
लोग कहते हैं की बहू के आने से घर टूट जाते हैं । मैं दावे से कहता हूं जो लोग यह कहते हैं या तो उनकी सोच बौनी है या वह लोग दिमाग की विकलांगता के शिकार है। आसपास के माहौल में जब मैं नजरे फैलाता हूं तो पता हूं कि अधिकांश परिवार एकल परिवार में बदलते जा रहे हैं। इसके पीछे आर्थिक कारण कम है अपितु बुजुर्गों के प्रति सम्मान की कमी तथा स्वच्छंद जीवन जीने की प्रवृत्ति अधिक है। मैंने वह भी दौर देखा था जब एक वक्त का भोजन होते हुए भी परिवारों में मिठास और खुशी का माहौल रहा करता था। मैं अपने को सौभाग्यशाली मानता हूं आज बच्चों की काम मे अत्यधिक व्यस्तता होते हुए भी सुबह देर रात ही सही हम बुजुर्ग दंपति को वे कभी अपनी कमी महसूस नहीं होने देते।
पोते पोतियो का हमारे प्रति प्यार इस जीवन के अंतिम पहर में नई ऊर्जा का संचार उत्पन्न कर देता है हालांकि यह बात दिगर है कि आज हमारे पास खोने को कुछ नहीं परंतु आज भी पाने को सारा आसमान हमारा है।
लेखक :-
अशोक भटनागर स्वतंत्र पत्रकार
एवं सामाजिक चिंतक
Trending
- झारखंड में मतदाताओं ने विधानसभा चुनाव के दो चरणों में राजनीतिक नेताओं की किस्मत ईवीएम में बंद कर दी।
- नेशनल पीपुल्स पार्टी ने बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने का ऐलान।
- Rising Rajasthan Mines and Petroleum Pre-Summit Marks Signing of MoUs Worth ₹63,463 Crores – Investment proposals worth ₹1.41 lakh crore now signed.
- महाविकास अघाड़ी का घोषणापत्र जारी, 5 गारंटी का ऐलान, महिला, युवा और किसानों पर जोर
- Jaipur to be developed as a sports hub in collaboration with owners of Rajasthan Royals
- प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा का निधन ।
- संविधान की हम करेंगे रक्षा- राहुल गांधी
- इंडिया गेट के सेंट्रल विस्टा में महकेगी राजस्थानी खाने की महक— सुषमा अरोड़ा